एक व्यक्ति के दो बेटे थे, उसका बड़ा बेटा बहुत ही कंजूस था और दूसरा बेटा हमेशा फिजूल खर्च करता रहता था, इस कारण वह हमेशा दुखी रहता, एक दिन
प्राचीन काल में एक व्यक्ति था जिसके दो बेटे थे. उसका बड़ा बेटा बहुत कंजूस था और दूसरा बेटा हमेशा फिजूल खर्च करता था. इसी वजह से उनके पिता दुखी रहते थे. एक दिन वह दुखी व्यक्ति अपनी समस्या लेकर गुरु के पास पहुंचा. उन्हें अपनी सारी समस्या बताई. संत ने उससे कहा- तुम अपने बेटों को मेरे पास भेज दो. मैं उन्हें समझा दूंगा.
अगले दिन दोनों भाई संत के पास पहुंच गए. संत ने दोनों को अपने पास बैठाया और अपने हाथों की दोनों हथेलियों को बंद करके मुट्ठी बांध ली. संत ने पूछा- बताओ अगर मेरे हाथ हमेशा ऐसे ही रहे तो कैसा लगेगा. दोनों भाइयों ने कहा- ऐसे तो ऐसा लग रहा है जैसे आपको कोई बीमारी हो गई है. संत ने दोनों हथेलियों को खोलकर पूछा- अगर मेरे हाथ हमेशा ऐसे खुले रहेंगे तो कैसा लगेगा. तो दोनों भाइयों ने कहा- इस स्थिति में भी यही लगेगा कि आप बीमार हैं.
संत ने कहा- बिल्कुल सही बात है. मुट्ठी को हमेशा बंद रखना या हथेलियों को हमेशा खोलकर रखना एक बीमारी की तरह है. ऐसे ही अगर तुम हमेशा कंजूसी करोगे और धन होते हुए भी मुट्ठी बंद रखोगे तो गरीब रहोगे. लेकिन अगर हमेशा हथेलियां खुली रखोगे. पैसा खर्च करते रहोगे तो धन बहुत जल्दी खत्म हो जाएगा और हम गरीब हो जाएंगे. इसीलिए हमें जीवन में संतुलन बनाए रखना चाहिए. जहां जरूरत हो वहां खर्च करें और जरूरत ना होने पर बिल्कुल हां खर्च ना करें. धन के मामले में हमेशा संतुलन बनाए रखें, तभी खुश रह सकते हैं.