एक युवक रोजाना संत के सत्संग सुनने के लिए आता था, लेकिन वह कभी भी संत की बताई हुई बातों पर अमल नहीं करता था, संत ने एक दिन उस युवक को एक असंभव सा
बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो लोग ज्ञान की बातें सुनते हैं। लेकिन कुछ ही देर में भूल जाते हैं। लेकिन ज्ञान की बातें सुनने और पढ़ने से जीवन में धीरे-धीरे ही सही लेकिन सकारात्मक परिवर्तन होता है। अगर आपको लगता है कि आप ज्ञान की बातें अपने जीवन में नहीं उतार सकते तो यह प्रेरक कहानी आपके लिए है। इस कहानी में यह बताया गया है कि आखिर कैसे संत ने एक युवक को समझाया कि वह अपने जीवन में ज्ञान की बातों को कैसे अपना सकता है।
एक संत अपने आश्रम में हर शाम को प्रवचन देते थे। उनके प्रवचन सुनने बहुत लोग आते थे। संत की वाणी में बहुत ही गजब का जादू था। लोग उनके शब्दों को दिल में उतार लेते थे। एक युवक हर दिन संत के प्रवचन सुनने आता था। एक दिन जब प्रवचन खत्म हो गए तो वह संत के पास गया और बोला- महाराज, मैं काफी दिन से आपके प्रवचन सुन रहा हूं। लेकिन यहां से जाने के बाद में अपने ग्रहस्थ जीवन में वैसा आचरण नहीं कर पाता, जैसा आप प्रवचन देते हैं। इससे सत्संग के महत्व पर शंका होने लगी है। बताओ मैं क्या करूं।
संत ने एक युवक को एक बांस की टोकरी दी और कहा कि इसमें पानी भर लाओ। युवक टोकरी में कई बार कोशिश करने के बावजूद पानी नहीं भर पाया। संत ने उससे कहा कि है कार्य निरंतर जारी रखो। युवक प्रतिदिन टोकरी में जल भरने की कोशिश करता। लेकिन वह असफल हो जाता। कुछ दिन बाद संत ने पूछा- इतने दिनों से टोकरी में लगातार जल डालने से क्या टोकरी में कोई फर्क आया।
कहानी की सीख
इस कहानी से यही सीख मिलती है कि निरंतर सत्संग सुनने से दुर्जन भी सज्जन हो जाते हैं, क्योंकि महापुरुषों की पवित्र वाणी उनके मानसिक विकारों को दूर कर देती है और उनमें सद्विचारों को भरती है।