एक राजा दूसरे राज्य जा रहा था, रास्ते में उसे थकान होने लगी तो वह एक पेड़ के नीचे आराम करने लगा, राजा ने अपने धनुष-बाण को उतारकर अपने पास ही में रख दिया और चादर ओढ़कर
एक राजा किसी काम से दूसरे राज्य जा रहा था। वह अकेला था। रास्ते में उसे थकान महसूस हुई तो वह एक पेड़ के नीचे बैठ गया। उसने अपने धनुष बाण एक ओर रख दिए। फिर वह चादर ओढ़कर सो गया।
कुछ देर में पेड़ के ऊपर एक कौवा आकर बैठ गया, जिसने राजा के ऊपर बीट कर दी और राजा की चादर गंदी हो गई। लेकिन राजा गहरी नींद में था और उसे इस बात का पता नहीं चला। फिर कौवा वहां से उड़ गया।
कुछ ही देर बाद उस जगह हंस आकर बैठ गया, जहां पहले कौआ बैठा था। हंस बैठा रहा। जैसे ही राजा की नींद खुली तो उसने अपनी चादर पर पक्षी की बीट देखी, जिससे वह क्रोधित हो गया और उसने तुरंत अपने धनुष बाण निकाले और हंस को मार गिराया।
बाण लगते ही हंस नीचे आ गया और मर गया। यह सब संत देख रहा था। वह संत राजा के पास आया और बोला कि आपने एक निर्दोष प्राणी को मार दिया। आपके चादर पर बीट कौवे ने की थी। हंस तो केवल कौवे की जगह आकर बैठ गया था। लेकिन अपने निर्दोष को मार दिया। यह सब सुनकर राजा पछताने लगा और उसे एक सबक भी मिल गया।
कथा की सीख
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कौवे जैसे दुष्ट जीव की जगह बैठने से ही हंस को अपने प्राण गवाने पड़े। उसी तरह बुरे लोगों के साथ बैठना भी नहीं चाहिए। इससे हमें निर्दोष होने पर भी सजा मिल सकती है।