आपने रेल यात्रा की हो तो कई बार देखा होगा कि ट्रेन के अंदर उड़ती हुई मक्खी कभी दीवार से नहीं टकराती है. जबकि ट्रेन 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ती है. जब वह एक जगह से दूसरी जगह के लिए उड़ान भरती है तो उसका संतुलन नहीं बिगड़ता है. मक्खी दीवार से क्यों नहीं टकराती है. इसके पीछे एक बड़ा कारण है.
श्री सुधीर श्रीवास्तव ने बताया कि जब हम ट्रेन में बैठे होते हैं और ट्रेन 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही होती है तो ट्रेन की गति भूमि के सापेक्ष 100 किलोमीटर प्रति घंटा होती है और उसके भीतर बैठे हुए व्यक्ति के सापेक्ष ट्रेन के डिब्बे की गति शून्य होती है, क्योंकि वह व्यक्ति ट्रेन के डिब्बे के भीतर बैठा है. ऐसे में व्यक्ति और ट्रेन के डिब्बे के बीच समय के साथ कोई विस्थापन नहीं हो रहा है. इसी वजह से व्यक्ति की ट्रेन के सापेक्ष गति शून्य है.
भले ही ट्रेन 100 किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ रही हो. लेकिन फिर भी हम ट्रेन के अंदर आसानी से चल पाते हैं. ट्रेन में ही नहीं हम हवाई जहाज में भी आसानी से चल पाते हैं, जबकि हवाई जहाज 900 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ रहा होता है. श्री सुधीर श्रीवास्तव ने बताया कि जो नियम आदमी के लिए लागू होता है वही मक्खी के लिए भी लागू होता है. इसी वजह से मक्खी जब ट्रेन के भीतर बैठी होती है तो वह आराम से इधर-उधर उड़ती रहती है और ट्रेन से नहीं टकराती.