Nov 10, 2023, 15:00 IST

सुग्रीव ने पर्वत से जब दो राजकुमारों को आते हुए देखा, तो सोचा कि इन दोनों को बालि ने मुझे मारने के लिए ही भेजा होगा.......

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योजना के अनुसार काम करते समय कई बार ऐसी स्थिति बन जाती है, जब पहले से तय योजना में बदलाव करना जरूरी हो जाता है। ऐसी स्थिति में बदलाव करने में पीछे नहीं हटना चाहिए। ये बात हम हनुमान जी से सीख सकते हैं।

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रामायण की घटना है। पंचवटी से सीता जी का हरण हो चुका था और श्रीराम-लक्ष्मण देवी की खोज कर रहे थे। श्रीराम-लक्ष्मण किष्किंधा की ओर थे और ऋष्यमूक पर्वत के पास पहुंच गए थे। इस पर्वत पर ही सुग्रीव हनुमान जी और जामवंत के साथ बालि के डर से छिपे हुए थे। सुग्रीव ने पर्वत से दो राजकुमारों को आते हुए देखा। ये दो राजकुमार श्रीराम और लक्ष्मण ही थे।
सुग्रीव ने राजकुमारों को देखकर सोचा कि इन दोनों को बालि ने मुझे मारने के लिए ही भेजा होगा। सुग्रीव ने हनुमान जी से कहा कि तुम जाकर देखो कि ये दो राजकुमार कौन हैं? तुम एक ब्रह्मचारी का वेश बनाकर जाना और इन दोनों की परीक्षा लेना। अगर इन दोनों को बाली ने भेजा हो तो हमें इशारा कर देना, हम यहां से कहीं और भाग जाएंगे।
हनुमान जी सुग्रीव की योजना के अनुसार ब्रह्मचारी नहीं, बल्कि ब्राह्मण का वेश धारण करके दोनों राजकुमारों के सामने पहुंच गए।
हनुमान जी के राजा सुग्रीव ने आदेश दिया था कि ब्रह्मचारी बनकर जाना, लेकिन हनुमान जी ब्राह्मण का वेश धारण करके पहुंचे। यहां हनुमान जी का ये निर्णय हमें सीख दे रहा है कि जब भी कोई बड़ा काम करना हो तो अपनी बुद्धि का उपयोग जरूर करें। अगर हालात योजना में बदलाव करने का संकेत दे रहे हैं तो योजना में बदलाव कर लेना चाहिए। बदलाव से पीछे नहीं हटना चाहिए।
उस समय हनुमान जी दो अंजान राजकुमारे से मिलने जा रहे थे। वह ऐसा दौर था, जब सभी लोग ब्राह्मणों को बहुत मान-सम्मान देते थे। हनुमान जी ने सोचा था कि अगर ये दोनों शत्रु हैं तब भी ब्राह्मण को देखकर एकदम प्रहार नहीं करेंगे। इस वजह से हनुमान जी ब्राह्मण के रूप में श्रीराम-लक्ष्मण से मिले थे।
इस प्रसंग में हनुमान जी ने मौके पर अपनी योजना में बदलाव किया और इस बदलाव की वजह से वे श्रीराम-लक्ष्मण की परख आसानी से कर पाए। इसके बाद जब हनुमान जी श्रीराम को पहचान गए तो अपने असली रूप में आ गए और सुग्रीव से श्रीराम की मित्रता करवाई थी।
इस किस्से में हनुमान जी हमें यही सीख दी है कि काम करते समय पहले से तय योजना में बदलाव करना पड़े तो पीछे नहीं हटना चाहिए। सफल होने के लिए जरूरी बदलाव कर लेना चाहिए।

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