Nov 12, 2023, 12:05 IST

जब गौतम बुद्ध काफी प्रसिद्ध हो चुके थे, वे रोज प्रवचन देते, काफी लोग उन्हें सुनने आते थे, एक लड़का रोज आता था............

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संगत का हमारे जीवन में काफी अधिक महत्व है। संगत सही रहेगी तो हमारे विचार सही रहेंगे और विचार सही रहेंगे तो कर्म भी सही रहेंगे और जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी। इसलिए सत्संग करते रहने की और अच्छा साहित्य पढ़ने की सलाह दी जाती है। सत्संग हमारे जीवन पर कैसे असर करता है, इस संबंध में गौतम बुद्ध की एक कथा प्रचलित है।

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बात उस समय की है जब गौतम बुद्ध काफी प्रसिद्ध हो चुके थे, वे रोज प्रवचन देते, जिन्हें सुनने के लिए काफी लोग पहुंचते थे। प्रवचन सुनने एक लड़का रोज आता था। वह गौतम बुद्ध की सारी बातें बहुत ध्यान से सुनता था। काफी दिनों तक प्रवचन सुनने के बाद एक दिन उस लड़के ने सोचा कि मैं प्रवचन तो रोज सुन रहा हूं, लेकिन मेरे जीवन में कोई बदलाव नहीं आ रहा है। बुद्ध बातें तो अच्छी बताते हैं, लेकिन कुछ लाभ नहीं हो रहा है। मुझे इस बारे में बुद्ध से बात करनी चाहिए।
अगले दिन वह लड़का बुद्ध से बात करने की इच्छा लेकर पहुंच गया। बुद्ध का प्रवचन शुरू हुआ और वे कह रहे थे कि अगर कोई व्यक्ति हम पर गुस्सा करता है तो वह हमसे ज्यादा खुद का नुकसान करता है। अगर हम भी दूसरे के गुस्से का जवाब गुस्से से ही देते हैं तो हम खुद का नुकसान कर लेते हैं।
बुद्ध की ये बातें सुनते ही वह लड़का खड़ा हो गया और कहने लगा कि तथागत मैं बहुत दिनों से आपके प्रवचन सुन रहा हूं, लेकिन मेरे जीवन में तो कोई बदलाव ही नहीं आया है। मुझे तो प्रवचन सुनने से कोई लाभ नहीं हो रहा है।
बुद्ध ने अपने प्रवचन बीच में रोके और उस लड़के की बात सुनने लगे। जब वह लड़का चुप हो गया तो बुद्ध ने उससे पूछा कि तुम कहां रहते हो?
लड़का बोला कि मैं श्रावस्ती में रहता हूं।
बुद्ध ने कहा कि श्रावस्ती से यहां तक की दूरी कितनी होगी और यहां आने में कितना समय लगता है?
उस लड़के ने बुद्ध की बातों का उत्तर दिया तो बुद्ध ने फिर पूछा कि यहां आते कैसे हो?
उसने बताया कि मैं कभी पैदल आता हूं, कभी सवारी का कोई साधन मिल जाता है तो उससे आ जाता हूं।
बुद्ध ने फिर एक नया प्रश्न पूछ लिया कि क्या तुम यहां बैठे-बैठे अपने घर पहुंच सकते हो?
ये प्रश्न सुनकर वह लड़का और वहां बैठे सभी लोग हैरान हो गए। लड़के ने कहा कि ये कैसे संभव है? मैं बैठे-बैठे कहीं और नहीं पहुंच सकता। इसके लिए तो मुझे ही चलकर जाना होगा।
बुद्ध ने कहा कि तुम्हारी बातों में ही तुम्हारे प्रश्नों का उत्तर है। सत्संग सुनने से तब तक कोई लाभ नहीं होगा, जब तक कि तुम उन अच्छी बातों को अपने जीवन में उतारते नहीं हो। जब तक तुम अच्छे काम नहीं करोगे, इच्छाओं का त्याग नहीं करोगे, बुराइयों से दूर नहीं रहोगे, तब तक तुम्हारे जीवन में कोई बदलाव नहीं आएगा। सिर्फ प्रवचन सुनने से, यहां बैठने से जीवन में कोई बदलाव नहीं आएगा।
बुद्ध ने आगे कहा कि अगर तुम कोई अच्छा करना चाहते हो तो उसके लिए तुम्हें प्रयास करना होंगे, विचार करने से काम नहीं होगा। सत्संग में तुम्हें सही-गलत बातों की जानकारी मिलती है, लेकिन उन्हें अपने जीवन में किस तरह उतारना है, ये तो तुम्हें ही तय करना होगा, तुम्हें प्रयास करने होंगे, तभी जीवन में सुख-शांति और सफलता आएगी।
सत्संग करते रहने से हमारी बुद्धि पवित्र रहती है और हमारा मन गलत बातों से बचा रहता है। अगर हम सत्संग नहीं करेंगे तो हमारे विचार भटक सकते हैं। इसलिए अच्छी किताबें पढ़नी चाहिए, अच्छे लोगों की संगत में रहना चाहिए।

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