Nov 11, 2023, 13:30 IST

कर्दम नाम के एक ऋषि थे, इनके बेटे का नाम था कपिल देव, कपिल मुनि को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है......

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ज्ञान घर के बाहर ही नहीं, घर के अंदर भी मिल सकता है। घर-परिवार में अगर कोई व्यक्ति ज्ञानी है और वह कोई सीख दे रहा है तो उसे स्वीकार जरूर करें। ज्ञान जहां से मिले, उसे सकारात्मक सोच के साथ स्वीकार करना चाहिए। ये बात हम देवहुति और उनके बेटे कपिल देव की कथा से समझ सकते हैं।

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पुराने समय में कर्दम नाम के एक ऋषि थे और उनकी पत्नी थीं देवहूति। इनके बेटे का नाम था कपिल देव। कपिल मुनि को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। एक दिन कर्दम ऋषि ने तय किया कि वे तपस्या करने जंगल में जाएंगे। उन्होंने देवहुति को अपने पुत्र के कपिल के पास भेज दिया। कपिल देव बहुत ज्ञानी और विद्वान थे।
एक दिन मां देवहूति ने अपने बेटे कपिल देव से कहा कि तुम ज्ञानी हो, भगवान का अवतार हो तो तुम मुझे प्रवचन सुनाओ।
माता की आज्ञा मानकर कपिल देव में जीवन के बारे में उपदेश दिए। जब प्रवचन का अंतिम चरण चल रहा था, तब तक देवहूति ये बात समझ चुकी थी कि मृत्यु अटल है। हर एक व्यक्ति को एक दिन मरना ही है।
अपने बेटे कपिल के प्रवचनों से माता देवहूति ने समझा कि मरने से पहले हमें अपने आत्म कल्याण के लिए कुछ न कुछ अच्छे काम जरूर करना चाहिए। बेटे से मिली सीख के बाद देवहूति एकाग्रता के साथ रोज ध्यान करने लगीं।
जब देवहूति का अंतिम समय आया तो उन्हें अपने बेटे कपिल देव की चिंता होने लगी, वे सोच रही थीं, कि कपिल के पिता तपस्या करने गए हैं, और अगर मैं मर गई तो मेरा बेटा अकेला रह जाएगा।
अंतिम समय में देवहूति को अपने बेटे के उपदेश याद आए और वे समझ गईं कि मृत्यु तो होना ही है। इसके बाद उन्होंने मन शांत किया और ध्यान करने लगीं। इस तरह प्रसन्नता के साथ उन्होंने अपनी देह त्याग दी।
प्रसंग की सीख
इस प्रसंग में देवहूति और कपिल देव ने हमें ये शिक्षा दी है कि ज्ञान किसी से भी मिल सकता है। घर-परिवार में अगर कोई व्यक्ति उम्र में छोटा है, लेकिन ज्ञानी है तो उससे भी जीवन से जुड़ी सीख ली जा सकती है। हमें जहां से भी ज्ञान मिलता है, उसे स्वीकार करना चाहिए।

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