आपने देखा होगा कि बाजार में मिलने वाली मिनरल वाटर बोतल का तलाा फ्लैट होता है. लेकिन सॉफ्ट ड्रिंक या कोल्ड ड्रिंक की बोतल का बेस 5 पॉइंट वाला होता है. आपके मन में भी यह सवाल आया होगा कि ऐसा क्यों होता है. क्या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण है.
जैसा कि आप सब जानते हैं कि प्यूरीफाइड वॉटर या किसी भी प्रकार के ड्रिंकिंग वाटर के अंदर किसी तरह का केमिकल नहीं होता है. बोतल के अंदर प्लेन वाटर होता है. बिना मिलावट वाला या फिर पानी के साथ कुछ मिनरल्स होते हैं. इसीलिए इनकी बोतल बनाने के लिए किसी भी प्रकार के विज्ञान की जरूरत नहीं पड़ती है. पानी की बोतल का तला सपाट रखा जाता है ताकि वह मजबूती के साथ खड़ी रह सके.
जबकि सॉफ्ट ड्रिंक या कोल्ड ड्रिंक की बोतलों का तला 5 पॉइंट वाला होता है, जिसके पीछे वैज्ञानिक कारण है. बोतल के अंदर भरा हुआ ड्रिंक सादा पानी नहीं बल्कि एक ऐसा पेय पदार्थ है जिसका कार्बोनेशन किया गया है. अगर बोतल का तला सपाट कर दिया जाएगा तो बोतल को जिस स्थान पर रखा जाएगा, वहां पर आने वाली तरंगें बोतल के अंदर भरे हुए ड्रिंक को प्रभावित करेंगी, जिससे कार्बोनेशन की वजह से बोतल में गैस बनेगी और फिर एक समय ऐसा आएगा जब बोतल में ब्लास्ट हो जाएगा.