एक सेवक राजा के लिए अंगूर की टोकरी लेकर गया, राजा उस टोकरी में से एक-एक अंगूर उठाकर सेवक के ऊपर फेंक रहे थे, सेवक हर बार बोल रहा था भगवान बड़ा दयालु है
सेवक ने बहुत सोचने के बाद अंगूर तोड़े और टोकरी में भर लिए। अंगूर की टोकरी लेकर वह राजा के पास पहुंच गया। राजा अपने राज्य की समस्याओं की वजह से चिंतित थे और कुछ सोच रहे थे। सेवक ने टोकरी राजा के सामने रख दी और खुद थोड़ी दूर बैठ गया।
चिंतित राजा सोचते-सोचते टोकरी में से एक-एक अंगूर उठाता, कुछ खाता और कुछ सेवक के ऊपर फेंक रहा था। जब-जब राजा सेवक के ऊपर अंगूर फेंकता सेवक हर बार यही कहता कि भगवान तू बड़ा दयालु है।
कुछ देर बाद राजा ने ये बात सुनी कि सेवक बोल रहा है भगवान तू बड़ा दयालु है। ये सुनते ही राजा ने सेवक से पूछा कि मैं तुम्हारे ऊपर बार-बार अंगूर फेंक रहा हूं और तुम क्रोधित न होकर भगवान को दयालु क्यों कह रहे हो?
सेवक ने राजा से कहा कि महाराज आज बाग में नारियल, अमरूद और अंगूर तीन तरह के पके थे। मैं सोच रहा था कि आपके लिए आज क्या लेकर जाऊं? तभी मुझे लगा कि आज अंगूर लेकर जाना चाहिए। अगर मैं नारियल या अमरूद लेकर आता तो मेरा हाल और बुरा हो जाता। इसीलिए में भगवान को दयालु कह रहा हूं। उस समय मेरी बुद्धि ऐसी की कि मैं अंगूर लेकर आ गया। इसीलिए कहते हैं जो होता है, अच्छे के लिए होता है। हमें हर स्थिति में भगवान का आभार मानना चाहिए।