भगवान बुद्ध के पास एक राजा आए और उनसे पूछा- हमारे राजकुमार के पास हर तरह की सुविधाएं हैं. जो बड़े महल में रहते हैं, जिनके पास नौकरों की कमी नहीं है, वह खुश नहीं रहते. हमेशा तनाव और परेशान रहते हैं. हम उन्हें किसी भी तरह खुश नहीं कर पा रहे हैं. लेकिन आप भिक्षु हैं, पदयात्रा करते हैं, जो खाने को मिलता है वह खा लेते हैं, कुटिया में रहते हैं. लेकिन आपके चेहरे पर हमेशा इतनी खुशी क्यों रहती है. इसका कारण बताएं.
भगवान बुद्ध ने उस राजा से कहा- खुशियां खोजनी हो तो जिसके पास कुछ भी नहीं है उसे खोजो. जो अपना सब कुछ त्याग चुका है, वही खुश रह सकता है. जो स्वेच्छा से अपना सब कुछ त्याग करता है वह जीवन में हमेशा खुश रहता है. भिखारी कभी खुश नहीं होगा, क्योंकि उसने कुछ छोड़ा नहीं है. बल्कि वह तो अभाव में जीवन जी रहा .है उसे हमेशा चिंताएं घेरे रहती है.
जो सब कुछ अपनी मर्जी से छोड़ता है, वही खुश रहता है. छोड़ना और छूटना दो अलग-अलग बातें हैं. ऐसे ही आपके राजकुमार सारी सुख सुविधाओं से परिपूर्ण है. लेकिन उनके मन में इन सुख-सुविधाओं के छूट जाने का डर है. त्यागी वही होता है जो अपने स्वतंत्र मन से त्याग करता है. कोई चीज छोड़ देना या छूट जाना दोनों में बहुत अंतर है. राजा को अपनी परेशानी का हल मिल गया. इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जो सब कुछ छोड़ना जानता है वह हमेशा सुखी रहता है.