Nov 18, 2023, 18:00 IST

इंसानों के सबसे पहले माता-पिता मनु और शतरूपा को माना गया है, इनके तीन बेटियां और बेटे हुए, इन्होंने बड़े ही.......

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मनु और शतरूपा इंसानों के पहले माता-पिता माने गए हैं। इन दोनों ने अपना जीवन बड़े ही अनुशासित रूप से व्यतीत किया था। इनके यहां तीन बेटियां और बेटे हुए थे।

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मनु-शतरूपा ने अपनी सभी संतानों का विवाह बहुत ही अच्छे ढंग से किया था। दो बेटे उत्तानपाद और प्रियव्रत को राजकाज सौंप दिया था। एक दिन बूढ़े हो चुके मनु-शतरूपा ने विचार किया कि हमने पूरी गृहस्थी बसाई और राजकाज किया, जीवन में कोई कमी नहीं थी। शरीर बूढ़ा होने लगा है। घर में रहते हुए बुढ़ापा आ गया है, लेकिन इच्छाओं से मुक्ति नहीं मिली। क्या हरि भक्ति के बिना हमारा जन्म यूं ही चला जाएगा?
यहां हरि भक्ति का मतलब दुनियादारी छोड़कर पूजा-पाठ करना नहीं है। जीवन के सही अर्थ को समझना और संतुष्टि के साथ शांतिमय जीवन जीना, इसी को हरि भक्ति कहा गया है।
इन दोनों ने विचार किया कि हम दोनों बूढ़े हो गए हैं और हमने अपनी सारी जिम्मेदारियां भी पूरी कर दी हैं तो अब हमें ऐसा जीवन जीना चाहिए, जिसमें हमें तृप्ति मिले और दुनियादारी की चिंताओं से मुक्ति मिल जाए। ऐसा सोच-विचार करके मनु-शतरूपा वन में गए और आश्रम बनाकर तपस्या करने लगे।
सीख
मनु-शतरूपा ने हमें यहां ये संदेश दिया है कि सभी इंसानों को बुढ़ापा आना ही है। बुढ़ापे में हमें हमारी दुनिया जिसमें हमारे बच्चे और व्यवसाय होता है, इनसे एक हद के बाद लगाव कम कर लेना चाहिए। दुनियादारी से थोड़ी मुक्ति पानी चाहिए। जब सभी जिम्मेदारियां पूरी हो जाती हैं तो जीवन अपने ढंग से जीना चाहिए। तभी बुढ़ापे में भी आनंद मिलेगा।

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