एक व्यक्ति, एक शब्द और एक घटना किसी भी व्यक्ति का पूरा जीवन बदल सकती है। हिन्दू संस्कृति में पुनर्जन्म को मान्यता दी गई है। ऐसा माना जाता है कि पिछले जन्म के कुछ संस्कार जब इस जन्म तक आते हैं तो अपना प्रभाव जरूर दिखाते हैं। ये बात महर्षि रमण के जीवन से समझ सकते हैं।
सुंदर अय्यर वेंकटरमन मदुरा (मदुरै) में वकील थे। जाति से ब्राह्मण थे। उनकी पत्नी अवगम्माल एक धार्मिक महिला थीं। ये दोनों अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देने के लिए धर्म-कर्म की बातें बताते थे, कथाएं सुनाते थे।
एक दिन इनके यहां एक महात्मा आए। वेंकटरमन और अवगम्माल के छोटे बेटे ने महात्मा से पूछा, 'आप कहां से आ रहे हैं?'
महात्मा जी ने कहा, 'हम अरुणाचल प्रदेश से आ रहे हैं।'
अरुणाचल शब्द सुनते ही वह बच्चा एक पल के लिए रुक गया। माता-पिता ने भी देखा और सोचा कि बच्चे ने ऐसी प्रतिक्रिया पहले कभी भी नहीं दी है।
अरुणाचल शब्द शायद उस बच्चे के प्रारब्ध से जुड़ा था। इस घटना के बाद वह छोटा सा बच्चा बदल गया था। बच्चे की रुचि धार्मिक कथाओं में, धर्म को जानने में बढ़ने लगी थी। आगे जाकर ये बच्चा महर्षि रमण के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
महर्षि रमण ने उपनिषदों में ऋषि-मुनियों ने आत्मा की जो कल्पना की थी, उसे बहुत ही विस्तार से इस दुनिया को समझाया। महर्षि रमण अक्सर कहा करते थे कि उस एक शब्द ने मुझे एक ऐसी स्थिति से जोड़ दिया, जहां मेरा भविष्य छिपा हुआ था। बाद में महर्षि रमण बहुत बड़े संत और दार्शनिक बन गए थे।
सीख
हमारे बच्चे जब किसी व्यक्ति विशेष से, किसी स्थिति से या किसी स्थान से जुड़ते हैं और उनकी स्थिति कुछ असहज हो जाए तो हमें सावधानी के साथ बच्चे पर और परिस्थितियों पर ध्यान देना चाहिए। अगर परिस्थितियां बच्चे के लिए लाभकारी हैं तो बच्चे को उस व्यक्ति से और उस जगह से जोड़ना चाहिए।