Sep 28, 2023, 20:00 IST

किसी नगर में एक गरीब संत अपनी पत्नी के साथ रहते थे, कभी-कभी उन्हें भूख भी रहना पड़ता था, नगर में उनका बहुत.......

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पुरानी लोक कथा के अनुसार किसी गांव में एक गरीब संत थे, उनके जीवन में कई परेशानियां थीं। कभी-कभी उन्हें और उनकी पत्नी को भूखे रहने पड़ता था और रात में भी भूखे ही सोना पड़ता था। नगर के सभी लोग संत का सम्मान करते थे, लेकिन संत इतने स्वाभिमानी थे कि वे किसी से धन की मदद नहीं मांगते थे।

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> जब ये बात राजा को मालूम हुई तो उन्होंने सोचा कि संत की मदद करनी चाहिए। राजा ने अपने मंत्रियों से कहा कि संत के घर पर्याप्त धन और अनाज तुरंत पहुंचा दें।
> राजा की आज्ञा मानकर मंत्रियों ने संत के घर धन और अनाज पहुंचा दिया गया। इतना धन और अनाज देखकर संत की पत्नी ने सोचा कि अब उनके बुरे दिन दूर हो जाएंगे। अब सब ठीक हो जाएगा। कुछ देर बाद जब संत घर आए तो उन्हें मालूम हुआ कि राजा ने उन्हें दान दिया है।
> संत राजा का दिया हुआ दान लेकर महल पहुंच गए। संत ने राजा के मंत्रियों से कहा कि मैं राजा को जानता नहीं हूं और न ही राजा मुझे व्यक्तिगत रूप से जानते हैं। राजा ने सिर्फ सुनी सुनाई बातों के आधार पर मुझ पर ये कृपा की है। मैं ये दान स्वीकार नहीं कर सकता। जो आनंद खुद के कमाए हुए धन से मिलता है, वह दान में मिले पैसों से नहीं मिल सकता। इसीलिए राजा को ये धन लौटा दीजिए।
कथा की सीख
इस छोटी सी कथा की सीख यह है कि व्यक्ति को स्वाभिमानी होना चाहिए। दूसरों के दिए हुए दान से वह आनंद नहीं मिलता है, जो खुद की मेहनत से कमाए धन से मिलता है। खुद की मेहनत से कमाया गया धन श्रेष्ठ होता है।

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