अक्सर देखा जाता है कि कोई बैंक दिवालिया होता है तो उसके खाताधारकों के जमा धन की निकासी पर रोक लगा दी जाती है. कई मामलों में तो खाताधारकों का पैसा भी डूब जाता है, जो कभी वापस नहीं मिलता. वहीं कई मामलों में केवल जमा धन का 25 या 50% ही प्राप्त होता है. हालांकि अब सवाल यह उठता है कि क्या होम लोन या कार लोन की रिकवरी पर भी यही फार्मूला लगाया जाता है. यानी अगर बैंक दिवालिया हो गया हो तो लोन लेने वाले को ईएमआई नहीं चुकानी पड़ेगी या फिर 50% ही लोन चुकाना पड़ेगा.
इटालियन ग्रुप स्टील डिवीजन के मुख्य वित्त अधिकारी श्री अनुज जायसवाल ने बताया कि बैंक के दिवालिया घोषित होने के बाद जो स्थिति बनती है वह एक बैंक के बैलेंस शीट को देखकर कुछ इस तरह होती है.
Liabilities यानि देयता पक्ष में कैपिटल और वे लोन जो बैंक ने बाहर से लिये है और उसके साथ कुछ current देयता.
सम्पत्तियों के पक्ष में cash, दूसरी अचल सम्पत्तियां, कुछ निवेश और वे लोआन जो बैंक ने दूसरों को दिया है, ब्याज कमाने के लिए, जैसे कि आपको दिया है.
दिवालिया होने के बाद बैंक का क्या होता है
बैंक तब दिवालिया होता है जब देय राशि, सम्पत्तियों से ज्यादा है. इसका अर्थ है कि बैंक अपनी देयताओं को चुकाने में असफल है. ऐसे में बैंक के लेनदार बैंक को खरीद लेंगे और उनकी संपत्तियों को बेचकर अपने लोन की भरपाई करेंगे.
दिवालिया बैंक बंद हो जाएगा तो फिर लोन की वसूली कौन करेगा
बैंक के पास संपत्तियों के तौर पर अन्य निवेश के अलावा अचल संपत्ति है जिन्हें बेच कर नकद धन उगाही कि जा सकती है . इसके साथ बैंक की मुख्य संपत्ति के रूप में ब्याज कमाने के लिए दिए गए लोन होंगे जो अनेक छोटे-बड़े ग्राहकों को दिए गए होंगे. इन ग्राहकों से लोन की राशि की उगाही की जाती है, क्योंकि वे लोन एग्रीमेंट के तहत लेते हैं.
इस प्रकार लोन उनके चुकाने की तिथि निश्चित होती है और उन तिथियों में ही वसूली होगी. इस तरह बैंक के लेनदार इन लोन को अन्य खरीदारों को बेच देती हैं. खरीदार अधिकांश मामलों में दूसरे बैंक ही होते हैं. बैंक के दिवालिया हो जाने के बाद आप यह समझने की भूल ना करें, कि अगर आपसे ईएमआई की वसूली नहीं हुई है तो आपको लोन चुकाना नहीं पड़ेगा.