एक गांव में एक घर था, जिसमें पति-पत्नी रहते थे। वह हमेशा दुखी रहते थे क्योंकि उनके जीवन से परेशानियां खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी। अब उनको यह लगने लगा था कि परेशानियां कभी भी खत्म नहीं होंगी और कभी भी सुख नहीं मिलेगा। पति पत्नी ने देवी-देवताओं की पूजा की, कई मंदिरों में प्रार्थना की जैसे सभी काम किए। लेकिन उनको परेशानियों से छुटकारा नहीं मिला।
वह एक बार प्रसिद्ध संत के पास पहुंच गए। संत को उन्होंने अपनी परेशानी बता दी। उनकी बात सुनकर संत अपने कमरे में अंदर चले गए। संत ने खंभा पकड़ कर जोर-जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया। इस वजह से गांव के लोग इकट्ठे हो गए। सभी लोगों ने पूछा कि गुरु जी क्या हो गया। संत ने बताया कि यह खंभा मुझे छोड़ नहीं रहा। अब आप ही बताइए मैं क्या करूं।
हर कोई ये सुनकर हैरान रह गया। बुद्धिमान संत आखिरकार ऐसी मूर्खता की बातें कैसे कर सकता है। गांव के लोगों ने कहा कि खंभा आपको नहीं छोड़ेगा बल्कि आपको खंभा छोड़ना पड़ेगा। संत ने बताया आप लोगों ने सही कहा। मैं इन दोनों को यही समझाना चाहता था।
सुख दुख तो हमारी आदतें हैं। हमने सिर्फ दुखी रहने की आदत को पकड़ रखा है। यदि हम इस आदत को नहीं छोड़ेंगे तो हमेशा हमें दुखी रहना पड़ेगा। पत-पत्नी को संत की बातें समझ आ गई। उन दोनों ने यह प्रण लिया कि वह हमेशा जीवन में सकारात्मक सोचेंगे। इसके बाद उन पति-पत्नी के जीवन से दुख का नामोनिशान मिट गया।
कहानी की सीख
इस कहानी से हमें सीखने को मिलता है कि जीवन में कभी भी नकारात्मक नहीं सोचना चाहिए। हमेशा सकारात्मक सोचना चाहिए। जो लोग सकारात्मक सोचते हैं वही सफल होते हैं और सुखी रहते हैं।