किसी भी काम की शुरुआत करने से पहले घर-परिवार और समाज के बड़े लोगों का आशीर्वाद और सलाह जरूर लेनी चाहिए। ऐसा करने से सकारात्मकता के साथ ही काम करने का साहस मिलता है। ये बात हम हनुमान जी से सीख सकते हैं।
रामायण का किस्सा है। हनुमान जी, जामवंत, अंगद और अन्य वानर सीता की खोज करते हुए संपाति के पास पहुंच गए थे। संपाति ने इन सभी को बता दिया था कि देवी सीता लंका में ही हैं।
हनुमान जी, जामवंत, अंगद और सभी वानर दक्षिण दिशा में समुद्र किनारे पहुंचे। वहां से लंका की दूरी करीब सौ योजन थी। इतना बड़ा समुद्र पार करके लंका पहुंचना था। वानरों के सामने समस्या ये थी कि समुद्र पार करके लंका कौन जाएगा?
सबसे पहले जामवंत ने कहा कि मैं अब बूढ़ा हो गया हूं और समुद्र पार लंका पहुंचना और सीता की खोज करके वापस लौटना मेरे लिए संभव नहीं है।
अंगद ने कहा कि मैं लंका जा तो सकता हूं, लेकिन वापस लौटकर आऊंगा, इसमें मुझे संदेह है।
उस समय हनुमान जी चुपचाप बैठे थे। जामवंत ने हनुमान जी को प्रेरित किया और कहा कि आपका तो जन्म ही रामकाज के लिए हुआ है, आप चुपचाप क्यों हैं? आप लंका जाइए और देवी सीता की खोज करके लौट आइए। जामवंत के प्रेरित करने पर हनुमान जी लंका जाने के लिए तैयार हो गए। उन्होंने जामवंत से पूछा कि आप बताइए, मुझे लंका जाकर क्या-क्या करना है और क्या नहीं करना है?
जामवंत ने हनुमान जी से कहा कि आप सिर्फ देवी सीता की खोज करके लौट आइए। लंका में आपको युद्ध नहीं करना है। आप लौट आइए और फिर श्रीराम रावण का अंत करेंगे। जामवंत जी की सलाह हनुमान जी ने ध्यान से सुनी। इसके बाद उन्होंने जामवंत को प्रणाम किया, उनका आशीर्वाद लिया। अन्य वानरों को नमन किया। इसके बाद हनुमान जी लंका की ओर चल दिए।
लंका पहुंचकर हनुमान जी सीता की खोज की, लंका को जलाया और फिर श्रीराम के पास लौट आए।
हनुमान जी की सीख
इस किस्से में हनुमान जी ने सीख दी है कि हमें जब भी कोई बड़ा काम करना हो तो घर-परिवार के बड़े लोगों से सलाह जरूर लेनी चाहिए और बड़ों का आशीर्वाद लेकर काम की शुरुआत करनी चाहिए। जब हम इस बात का ध्यान रखते हैं तो हमें सफलता जरूर मिलती है।