अधिकतर लोग व्यस्तता का बहाना बनाकर योग-ध्यान से बचते नजर आते हैं, लेकिन जो लोग योग-ध्यान को अपने जीवन का हिस्सा बना लेते हैं, वे विपरीत समय में भी सकारात्मक और शांत रहते हैं। ऐसे लोगों के जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। शिव जी और देवी पार्वती से जुड़ा एक किस्सा है, जिसमें भगवान ने देवी को योग-ध्यान का महत्व बताया है।
एक बार शिव जी और पार्वती जी बात कर रहे थे। देवी जीवन से जुड़े प्रश्न पूछ रही थीं और भगवान उत्तर दे रहे थे। उस समय पार्वती जी ने एक प्रश्न पूछा कि हर इंसान की मृत्यु तय है, लेकिन काल पर कौन विजय प्राप्त कर सकता है? आपने तो एक बार काल को भी जला दिया था। फिर उसने आपकी स्तुति की तो आप उससे प्रसन्न हो गए और आपने काल को फिर से स्वस्थ कर दिया था। मैं आपसे जानना चाहती हूं कि क्या आपके अलावा कोई और काल को जीत सकता है?
शिव जी ने देवी पार्वती से कहा कि देवता, दैत्य, यक्ष, राक्षस, नाग और इंसान कोई भी काल को खत्म नहीं कर सकता है, लेकिन योग-ध्यान करने वाले योगी काल को जीत सकते हैं। जो व्यक्ति शरीर, मन और आत्मा के अंतर को जानता है, जो व्यक्ति हर रोज-ध्यान योग करता है और जो योग के माध्यम से आत्मा समझ चुका हो, वही व्यक्ति काल को जीत सकता है। हर व्यक्ति को रोज योग-ध्यान करना चाहिए और ध्यान करते समय अपने इष्टदेव के मंत्र का जप करना चाहिए।
जब कोई व्यक्ति योग-ध्यान और मंत्र जप को अपने जीवन का हिस्सा बना लेता है तो उसके सारे दुख और अशांति दूर हो जाती है। अनजाना भय खत्म होता है, नकारात्मक विचार दूर होते हैं और सकारात्मकता बढ़ती है।
ऐसे कर सकते हैं ध्यान
किसी शांत स्थान पर आसन बिछाकर बैठ जाएं। आप किसी भी आसन में बैठ सकते हैं। इसके बाद मन को शांत करें।
आंखें बंद करें, अपनी सांस की प्रक्रिया को सहज करें। विचारों को शांत करें और अपना पूरा ध्यान दोनों आंखों के बीच आज्ञा चक्र पर लगाएं। इसके साथ ही किसी भी मंत्र का जप करें।