पुलिस कर्मचारियों को देखकर कई बार आपके मन में यह सवाल आता होगा कि पुलिस की वर्दी खाकी रंग की ही क्यों होती है. क्या आपने भी कभी इस सवाल का जवाब जानने की कोशिश की है. अगर आपने कभी पुलिस वालों से यह सवाल पूछा हो तो उनका जवाब था, क्योंकि खाकी वर्दी जल्दी गंदी नहीं होती. लेकिन ब्राउन कलर भी जल्दी गंदा नहीं होता है. आप भी यह सोचते होंगे कि पुलिस के मैदानी कर्मचारी जींस क्यों नहीं पहनते. लेकिन पुलिस की वर्दी का रंग खाकी क्यों होता है, इसके पीछे एक बड़ा कारण है.
मध्य प्रदेश पुलिस के रिटायर्ड कॉन्स्टेबल राधेश्याम शर्मा ने बताया कि पुलिस की वर्दी का रंग खाकी होने के पीछे की कहानी बहुत ही मजेदार है. खाकी वर्दी का निर्धारण 1847 में हैरी बर्नेट लंस्डेन ने किया था. लेफ्टिनेंट-जनरल सर हैरी बर्नेट लम्सडेन KCSI CB भारत में सक्रिय एक ब्रिटिश सैन्य अधिकारी थे. उन्होंने काफी रिसर्च के बाद पुलिस की वर्दी का रंग खाकी फिक्स किया था. इसके पीछे का एक लॉजिक था.
राधेश्याम शर्मा ने बताया कि खाक का मतलब धूल, पृथ्वी और राख होता है जिसको आधार बनाकर पुलिस की वर्दी का रंग खाकी किया गया. खाकी वर्दी का मतलब है कि इसे पहनने वाला सिपाही देश की सेवा के लिए खाक में मिलने को भी तैयार है. इसी वजह से आजादी के बाद भी भारत सरकार ने पुलिस की वर्दी का रंग खाकी ही रहने दिया.