आप के दिमाग में अपने आसपास की चीजों को देखकर कई सवाल होते हैं. लेकिन हम इनका जवाब नहीं ढूंढते हैं. दैनिक जीवन में काम आने वाली हर चीज के पीछे कोई ना कोई साइंटिफिक कारण छुपा रहता है, जिसका सवाल हमारे पास होता है .लेकिन हम उसका जवाब ढूंढने में हम रुचि नहीं रखते हैं. अब आप देखिये मिट्टी का तेल एक रंगहीन तरल खनिज है, लेकिन जब हम इसे खरीदते है तो इसका रंग नीला होता है. क्या आपके दिमाग में कभी ऐसा प्रश्न आया. आइए जानते हैं इस बारे में..
दरअसल मिट्टी के तेल का रंग नीला करने के पीछे सरकार कालाबाजारी और भ्रष्टाचारी रोकना चाहती है. जी हां, अब आप सोचते होंगे कि रंग नीला करके कालाबाजारी कैसे रोकी जा सकती है. तो हम बताते हैं भारत सरकार हर राशन कार्ड पर केरोसिन तेल मुहैया करवाती है. जिसमें से कई हजारों लीटर तेल कालाबाजारी की भेंट चढ़ जाता है. इसी पर रोक लगाने के लिए सरकार ने यह शातिर तरीका निकाला है.
आपको बता देते हैं कि राशन का तेल गैर कामो में उपयोग ना हो सके, इसलिए उसका रंग नीला किया जाता है. सरकार चाहती थी कि राशन का तेल जिस उद्देश्य से दिया जाता है उसका उसी उद्देश्य के लिए उपयोग होना चाहिए. इस तेल का रंग नीला रकरने पर सभी को पता चल जाता है कि यह तेल राशन का है. हालांकि अगर सरकार सफेद रंग के मिट्टी का तेल बांटती है तो इससे सरकार और तेल कंपनियों को भी फायदा होगा. लेकिन सरकार कालाबाजारी रोकने के लिए थोड़ा घाटे खाने को भी मजबूर है.