प्राचीन काल में एक सेठ था, जो बहुत धनी था. उसके पास सुख-सुविधा की सारी चीज थी. फिर भी उसके जीवन में अशांति थी. वह निराश रहने लगा था. एक दिन वह व्यापार के लिए दूसरे नगर जा रहा था. रास्ते में उसने एक संत को देखा, जो टूटी झोपड़ी में रह रहे थे. उनके पास पहनने के लिए ना तो अच्छे कपड़े थे और ना ही खाने के लिए बहुत कुछ था.
संत के पास जब सेठ पहुंचा तो उन्हें प्रणाम किया. सेठ ने संत को अपनी परेशानी बताई. सेठ ने संत से पूछा कि आपके पास सुख-सुविधा की कोई चीज नहीं है, ना अच्छे कपड़े हैं, ना खाने के लिए ज्यादा कुछ है. फिर भी आप शांत और प्रसन्न दिख रहे हैं, ऐसा क्यों. मुझे भी कोई उपाय बताएं, जिससे मेरे जीवन में शांति आए.
संत ने एक कागज पर कुछ लिखकर सेठ को दे दिया और बोले कि इसे अपने घर जाकर पढ़ना. इसमें तुम्हारे सुखी जीवन का सूत्र लिखा है. सेठ कागज लेकर अपने घर पहुंचा. उसने कागज खोला, जिस पर लिखा था- जहां शांति और संतोष रहता है, वही सुख रहता है. सेठ समझ गया कि वह और धन कमाना चाहता है, इसी वजह से वो असंतुष्ट रहता है और उसके जीवन में अशांति है.