Oct 19, 2023, 16:30 IST

एक राजा अपने दरबार में विद्वान पंडित की बुद्धिमानी से बहुत प्रभावित था, एक दिन राजा पंडित जी से बोला.......

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एक राजा के दरबार में एक ज्ञानी पंडित थे. सब उनकी बुद्धिमता से बहुत प्रभावित थे. राजा ने एक दिन भरे दरबार में पंडित से पूछा कि आप बहुत बुद्धिमान हैं. लेकिन आपका पुत्र मूर्ख क्यों है तो यह सुनकर पंडित जी चौंक गए और उन्होंने महाराज से पूछा कि आप ऐसा क्यों कह रहे हैं? राजा ने पंडित जी से कहा कि मैंने उससे पूछा कि सोने और चांदी में से क्या मूल्यवान है, तो वह हमेशा चांदी को मूल्यवान बताता हैय उसे तो यह भी नहीं पता कि कौन-सी धातु कीमती है.

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दरबार में मौजूद सभी लोग पंडित के ऊपर हंसने लगे, जिससे उन्हें काफी बुरा लगा और वह तुरंत ही अपने घर चले गए. घर पहुंचकर पंडित ने अपने बेटे से पूछा कि बेटा चांदी और सोने में से क्या मूल्यवान है, तो बेटे ने कहा- पिताजी सोना मूल्यवान धातु है. यह जवाब सुनकर पंडित ने अपने बेटे से पूछा कि तुम्हें पता है तो तुम राजा को गलत जवाब क्यों देते हो.
पंडित के बेटे को पूरी बात समझ आ गई. उसने अपने पिताजी से कहा कि राजा हर रोज सुबह मुख्य बाजार में अपनी प्रजा से मिलने आते हैं. मैं भी वहां जाता हूं. वह हर रोज मेरे सामने एक चांदी का और एक सोने का सिक्का रखते हैं और कहते हैं कि जो भी कीमती है वो तुम ले सकते हो. मैं हर रोज चांदी का सिक्का उठाता हूं. पूरी प्रजा मेरा मजाक उड़ाती है. लेकिन मैं सिक्का घर ले आता हूं.
पंडित ने पूछा कि बेटा तुम्हें पता है कि सोना ज्यादा मूल्यवान है तो तुम चांदी का सिक्का क्यों उठाते हो. बेटा अपने पिता को कमरे में ले गया, जहां उसने एक संदूक खोलकर दिखाया, जिसमें बहुत सारे चांदी के सिक्के रखे थे. बेटे से पंडित ने पूछा कि यह सिक्के कहां से आए तो बेटे ने बताया कि पिताजी राजा साहब हर रोज जो सिक्के देते हैं, वह यही है. अगर मैं राजा के सामने सोने का सिक्का उठा लूंगा तो वह मुझे सिक्के देना भी बंद कर देंगे. इससे मेरा नुकसान होगा.
पंडित अपने बेटे की चतुराई को समझ गया और अगले दिन अपने बेटे को राजा के दरबार में लेकर पहुंचा और राजा को सारी बात बताई. सारी बात जानकर राजा पंडित के बेटे की बुद्धिमानी से प्रसन्न हुआ और उसकी प्रशंसा की. साथ ही उसे सोने के सिक्कों से भरा एक संदूक भी दे दिया.
कहानी की सीख
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपनी शक्ति का दिखावा नहीं करना चाहिए. कई बार हम अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने के चक्कर में अपना ही नुकसान कर बैठते हैं. जब शक्ति दिखाने का सही समय आए, तभी शक्ति का प्रयोग करना चाहिए.

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