Oct 21, 2023, 16:30 IST

एक राजा समय-समय पर अपने राज्य में प्रतियोगिताएं करता रहता था, प्रजा भी खुशी-खुशी उन प्रतियोगिताओं में.......

एच

किसी देश में एक राजा राज्य करता था, उसको अलग-अलग प्रतियोगिताएं करवाने का शौक था। राज्य के लोग इन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते थे और उनको राजा की तरफ से इनाम भी मिलता। इसी वजह से उस राज्य में उत्साह बना रहता था।

एच

एक बार राजा ने अपने राज्य में एक खूबसूरत बगीचा बनवाया, जिसमें कई तरह की मूल्यवान वस्तुएं रखवाईं। राजा ने घोषणा की कि जो व्यक्ति इस बगीचे से सबसे कीमती चीज ढूंढ कर लाएगा, उसे बहुत सारे इनाम देगा। इस प्रतियोगिता के बारे में जानकार लोगों को खुशी हुई।
जब प्रतियोगिता का दिन आया तो सभी लोग बगीचे में गए और कीमती रत्न आदि चीजें लेकर बाहर आने लगे। कोई सोना लाया तो कोई चांदी लाया। किसी के पास आभूषण थे तो किसी के पास हीरा था। सबसे अंत में बगीचे में एक संत गए और जब संत बगीचे में घूमने के बाद बाहर निकले तो उनके हाथ में कुछ भी नहीं था।
संत राजा के पास गए और बोले कि मैं बगीचे से सबसे कीमती चीज लाया हूं। राजा ने संत से कहा कि लेकिन महाराज, आपके हाथ में तो कुछ भी नहीं है। संत ने राजा से कहा कि मैं संतोष लाया हूं। राजा ने पूछा कि क्या तुम्हारा संतोष सबसे मूल्यवान है।
संत ने कहा- हां महाराज, आपके बगीचे में रखी हर चीज का कोई ना कोई मूल्य है। लेकिन संतोष तो अमूल्य है। इसे पाने के बाद और कुछ पाने की इच्छा ही नहीं रहती है। राजा संत की बात को समझ गया और उन्हें अपना सलाहकार बना लिया।
कथा की सीख
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जीवन में संतोष सबसे जरूरी है। इसके सामने दुनिया की सारी कीमती चीजें भी बेकार है। जो व्यक्ति संतोष करता है, उसको जीवन में कभी दुख नहीं झेलने पड़ते।

Advertisement