एक गांव में एक आश्रम था जिसमें गुरु अपने शिष्य के साथ रहते थे। जब गुरु अपने शिष्य के साथ गांव में घूम रहे थे तो उन्होंने देखा कि एक किसान बहुत ही मेहनत से खेत में काम कर रहा है। उस किसान का खेत के बाहर एक पेड़ के नीचे खाना और अन्य सामान रखा हुआ था।
शिष्य बहुत शरारती था। शिष्य ने अपने गुरु से कहा कि गुरु जी क्या हम इस किसान के साथ थोड़ा मजाक कर सकते हैं। हम इसका सामान कहीं छिपा देते हैं । गुरु ने शिष्यको ऐसा करने से मना कर दिया। उन्होंने बताया कि ऐसा नहीं करना चाहिए। तुमको उस किसान की थैली में कुछ धन रख देना चाहिए। फिर देखना क्या होता है।
उस शिष्य ने गुरु की बात मानी और किसान के थैली में थोड़े पैसे रख दिए। गुरु और शिष्य एक पेड़ के पीछे छिप गए। काम करने के बाद किसान खेत से बाहर आया और पेड़ के नीचे बैठ गया। जब उसने अपना थैली खोली तो उसे पैसे दिखाई दिए। किसान सोचने लगा कि यह पैसा कहां से आया है। उसने चारों तरफ देखा। लेकिन कोई भी दिखाई नहीं दिया।
उस किसान ने भगवान को शुक्रिया कहा। उसने कहा कि आज मुझे अपनी बच्ची के लिए दवाई लेनी थी और पैसों की बहुत आवश्यकता थी। अब मैं इन पैसों की सहायता से अपनी बच्ची के लिए दवाई खरीद सकूंगा। गुरु और शिष्य ने किसान की बात सुन ली।
शिष्य ने गुरु को बताया कि गुरु जी मैं समझ चुकी हूं कि असली खुशी दूसरों से मदद लेने में नहीं बल्कि जरूरतमंदों की मदद करने से मिलती है।
कहानी की सीख
इस कहानी से हमें सीखने को मिलता है कि हर किसी को जरूरतमंद लोगों की अपनी सामर्थ्य के अनुसार मदद करनी चाहिए। इससे आपका और जरूरतमंद का जीवन सफल हो सकता है।